Tuesday, March 1, 2016


Gratitude Note




Divya Singh

 काम करना हम सबको पड़ता है, जीवन की छोटी से छोटी ज़रूरत को पूरा करने के लिए काम करना पड़ता है। भूख लगी है तो खाना बनाना पड़ेगा, सोना है तो बिस्तर बिछाना पड़ेगा। खैर! इन सब में साचने वाली बात यह है कि दुनिया में कोई ऐसा काम नहीं है जो निःस्वार्थ हो?
तो मेरे जवाब में मैं कहना चाहुंगी कि निःस्वार्थ भाव वही है जहां खुद से पहले दूसरे से सोचा जाए और ऐसे लोग होते है, मेरी बात सुन कर आप हसेंगे और अकड़कर कहेंगे की कोई उदाहरण दो तो मानें, तो मैं कहुंगी की जनाब एक नहीं चार-चार उदाहरण है और वो चारों और कोई नहीं हमारे मंजि़ल के चार सहयोगी (Volunteer) है। दिव्या, अनीरूद्ध, राघव और अन्नया तो आप जानते ही होंगे? और अगर गलती से नहीं जानते तो मैं बता देती हूँ। दिव्या नेे काफी समय तक मंजि़ल में इंग्लिश पढ़ाई और फिर काफी समय तक इंग्लिश पढ़ाने वालो को इंग्लिष पढ़ाने में मदद करी। अब जब की दिव्या देश से कई दूर ईटली में रहती है, हाल ही में उसने अपना घर एक मंजि़ल के स्वीज्ररलैंड से आइ एक सहयोगी (Kina Kunz) को रहने के लिए दिया। दिल्ली में न रहते हुए भी जिस तरह से कीना को मेहमान नवाज़ी मिली उससे पता चलता है कि निःस्वार्थ भाव से भी कई लोग काम करतें है। 
अनीरूद्ध भी मंजि़ल में इंग्लिश पढ़ाने आए थे और राघव और अनन्या भी मंजि़ल के इंग्लिश वाॅलेनटियर हैं। इन सभी से आप कभी क्लास में, कभी क्लास के बाहर तो मिले ही होंगे। इन चारों ने अपने काम और लगन से सिर्फ मंजि़ल की मदद नहीं करी बल्कि सभी पढ़ने वाले मंजि़लियन्स के दिलो को छुआ है।

आज के वक़्त में इंसान अपने परिवार को समय नहीं दे पाता इन चारों ने मंजि़ल को अपना कीमती समय दिया। अनीरूद्ध ने तो अपनी शादी से दो दिन पहले भी मंजि़ल में आकर क्लास ली। इन सभी में बच्चों के साथ दोस्त बनकर सीखने और सीखाने का भरपूर हुनर है, और सीखने की प्रक्रिया को रोमांचक कैसे बनाया जाए ये भी इन्हें बहुत अच्छे से आता है। अनीरूद्ध के लिए तो मैंने यह तक सुना है कि जिस तरह से वह बच्चो से जुड़ता है, शायद ही किसी और को इस तरह बच्चो के साथ काम करते देखा जाए। मुझे तो यह लगा कि हमनें इनसे सिर्फ वो नहीं सीखा जो वो सीखाने आए थे बल्कि वो चीज़े भी सीखी जिसके माध्यम से सीखा रहे है। इन सभी के जैसा सहज व्यवहार, लगन और कोशिश हम और सभी बच्चो को सीखाना चाहतेहै। 

शब्दों में किसी भी सहयोग का आभार प्रकट करना उसे सीमाओं में बांध देता है, पर फिर भी मंजि़ल की तरफ से आप चारों को बहुत-बहुत धन्यावाद। आपके हुनर ने ही मंजि़ल को और तराशा है और बहतर बना रहा है। हमें भी उम्मीद है कि मंजि़ल ने आपकी समझ और सोच में कुछ सकारात्मक बदलाव किया होगा।  

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