Thursday, August 22, 2013

Inspirational Story


  “कठकथा” ऐसी एक कथा है, जिसकी शुरूआत एक साल पहले गीतांजलि बब्बर ने की। कठकथा का उद्देश्य जी.बी. रोड पर रह रहीं सेक्स वर्कर्स को जि़दगी के उन पहलुओं से रूबारू कराना जिनसे वो अनजान है उन्हें पढ़ाना, पहचान दिलाना, आत्मनिर्भर बनाना और अपने अधिकारों से रूबारू कराना, ताकि अगर वो चाहे तो इस अंधेरी जगह से निकर कर अपने जीवन की एक खुबसुरत शुरूआत कर सकें। जिनको चंद हाथांे ने कठपुतली की तरह धागों में बाँध रखा है।


  जी.बी रोड, जिस जगह का नाम लेते ही आपकी ओर हज़ार उंगलियाँ उठ जाती हैं, जिसका नाम लेना भी हमारे सभ्य समाज में उचित नही माना जाता, जहाँ समाज क्या सरकार भी बदलाव लाने से डरती है। ऐसे वातावरण में गीतांजलि ने अकेले ही एक नये अध्याय की शुरूआत की उन औरतों और बच्चांे को उनकी पहचान दिलाने के लिए जिनका जीवन जिस्मफरोशी के बज़ार में शुरू होता है और वही दम तोड़ देता है और उन नन्ही आंखो में नए सपनें सजाने की जिन्हांेने आज तक समाज का भयानक रूप ही देखा है।

  आज कई कठिनाइयों के बाद गीतांजलि कठकथा चला रही हैं। सेक्स वर्कर्स सिलाई सिखती हैं, पढ़ती हैं और उनके बच्चे भी बड़ी उत्साह से पढ़ने आते हंै। शुरू में गीतांजलि अकेले ही कठकथा चला रही थी पर अब धीरे-धीरे कई लोग कठकथा से जुड़ते जा रहे हैं, जिसमें नरेंद्र, रितो, अकुंश, शेखर और संाची एक परिवार के जि़म्मेदार सदस्य की तरह कठकथा का साथ निभा रहे हंै।

  गीतांजलि पहले छ।ब्व् ;छंजपवदंस ।पके ब्वदजतवस व्तहंदप्रंजपवदद्ध के साथ भ्प्ट.।पके पर काम करती थीं। जिसके अंर्तगत उन्हे जी. बी. रोड पर काम करने, कोठों पर जाने, सेक्स वर्कर्स से मिलने, उनसे बातचीत करने का अवसर मिला। धीरे-धीरे उनका व्यक्तिगत रिश्ता बनता गया और यही रिश्ता कठकथा का आधार बना! जिसके परिणाम स्वरूप गीतांजलि के मन में सेक्स वर्कर्स के लिए कुछ करने की इच्छा जागी।

  गीतांजलि अपने मन में उठ रहे सवालांे से जूझ रहीं थी कि वो क्या कर सकती हैं और क्या करना चाहिए? इसी सिलसिले में उन्हांेने अपने साथ काम कर रहे लोगों से मदद मांगी पर जी. बी. रोड का नाम सुन कर सब पीछे हट गए। कुछ समय बाद सेक्स वर्कर्स ने, जिन्हें गीतांजलि दीदी कह कर पुकारती हैं,   गीतांजलि को हौंसला दिया और सिलाई सीखने की इच्छा ज़ाहिर की। अपने दोस्त अंकुश की मदद से गीतांजलि ने एक छोटा सा सिलाई सेंटर खोला और दीदियांे को बुलाना शुरू किया। गीतांजलि को कई कोठांे से धक्के देकर भगया गया, गंदी नज़रों से देखा गया पर इस सब के बावजूद भी गीतांजलि ने हार नहीं मानी। गीतांजलि की हज़ार कोशिशांे के फलस्वरूप 6-7 दीदियों ने सिलाई सेंटर आना शुरू किया।

  कुछ दिन सब अच्छा चला पर समाज में बदलाव लाना लोहे के चने चबाने जैसा है। जब कठकथा का काम अच्छा चला तो किसी कारण उनसे वो जगह ले ली गई। जिस संस्था ने सिलाई मशीनें दी, वो भी वापस ले ली। अब गीतांजलि खाली हाथ सड़क पर थीं। इसी तरह वे और उनके साथी कई महीनों तक जी.बी रोड पर भटकते रहे। उन्हे जगह तो मिल रही थी पर लोग सेक्स वर्कर्स का नाम सुनते ही मना कर देते थे। यहां तक की हमारे नेता, जो समाज सेवक का सफेद चोगा पहने फिरते हैं, उन्होंने भी सेक्स वर्कर्स का नाम सुनकर बात टाल दी। पर कहते हैं ना कि कदम बढ़ाओ तो मंजि़ल मिलना मुश्किल सही पर नामुमकिन नहीं है।

  अब कई कड़ी चुनौतियों का सामना करने के बाद गीतांजलि छ।ब्व् ;छंजपवदंस ।पके ब्वदजतवस व्तहंदप्रंजपवदद्ध के आॅफिस किराय पर ले कर आपना छोटा सा स्कूल चला रहीं हैं। अब जब भी एक नई चुनौती सामने खड़ी होती है वो हँसकर उसका सामना करती हंै । गीतांजलि इस बात से अच्छी तरह परिचित हैं कि इस खतरनाक वातावरण में उनके साथ कुछ भी हो सकता है। पर उनका डर उनके जज़्बे और उनके हौंसले के आगे बहुत छोटा है। उनके काम की जितनी सराहना की जाए उतनी कम है। कठकथा में अब 20 बच्चे आ रहे हैं और दीदियाँ सिलाई के साथ साथ पढ़ाई भी कर रही हैं। अब उनके मन में बाहर जा कर नौकरी करने की इच्छा जागी है जिसका श्रेय कठकथा को जाता है।
Firdos Khan
(Volunteer)
  

1 comment:

  1. Manzil has been a blessing for Kat-Katha...thanks for adopting us..love u:)

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