बचपन से शुरू इसकी जिम्मेदारी
काम काज पढ़ाई लिखाई इसको प्यारी।
पापा की रानी माँ की दूलारी
उस गुडिय़ा का नाम है नारी।
सहन शीलता, प्रेम, सहेहनशीलता
जिसमें समाई खुबिया सारी
वह अनमोल हीरा है नारी।
अलबेली पहेली कह लो या
कहलो गुलो की कियारी
काटों पे जो खिल जाए वह फूल है नारी।
निराशा के अंधेरो को दूर करती
गम के सन्नाटे को चिरती
वह जगमगाती किरन है नारी।
न मुमकीन को मुमकीन करती नारी।
कहीं दिखाए दुर्गा का रूप
तों कहीं बिखेर दें ममता सारी।
आँसु को छुपाती मुस्कान है नारी
उस ज्वाला का नाम है नारी जिसपें टिकी है दुनिया सारी
उस शक्ति का नाम है नारी।
फिरदौस
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