सबको जिसकी राह दिखाई
हम दर्पण बनकर बैठे हैं
दोश पराए चुनते हैं
बस कहने की आदत है
हम औरों की कब सुनते हैं
दिया सहारा औरों को पर खुद का हाथ पकड़ ना पाए,
देखा है क्या कोई तुमने
बोलो इतना भी कमज़ोर
जिसने जीती दुनिया पर ना
हुआ पराजित मन का छोर
हो अजय जो सृष्टि मे पर
मोह माया से हारा हो
जिसने मात्र एक की खातिर कुल वंशों को मारा हो
ज्ञानी होकर भी हम सब किस्मत का लिखा पड़ ना पाए
हम खुद ही से लड़ ना पाए |
Neeti Pandey (Vocalist and Writer, Manzil Mystics)
No comments:
Post a Comment