Monday, September 1, 2014

Inspirational Story

Inspirational Story
“प्रेम”




जीवन इश्वर का एक वरदान है | तभी हर दिल में उसका स्थान है | इस स्थान कों कोई भक्तिकहता है तो कोई प्रेम | और इसी तरह इश्वर के प्रति अपनी भक्ति और प्रेम दिखातें हूऐ श्री बृजमोहन महाराज और उनके कुछ साथियों नें 1 जनवरी 2012 कों प्रेम नामक एक संगठन जो की कालकाजी मैं स्थित है, का शुभआरम्भ किया |

आज प्रेम उस रथ के समान है जो इस पर सवार बच्चों कों उनकी मंजिल तक पहुँचा रहाँ है | इस रथ की कमान सम्भाले श्री सुनीत सामल जी और उनके साथी, बच्चों का सही मार्गदर्शन कर रहें है | 

प्रेम कि कक्षाओं की कमान संभाले लोग अर्थात प्रेम के अध्यापकों की टीम मंदिर से कई सालों से जुड़े हुई हैं, जो मंदिर की सेवा तथा प्रेम की सेवा दोनों करते हैं I इसके आलावा कुछ अध्यापक ऐसे भी हैं जो “प्रेम” के छात्र रह चुके है और कुछ “मंजिल” मैं भी छात्र रह चुके हैं I प्रेम उन बच्चों के प्रति बस एक सेवा मात्र है  जिन बच्चों कों देश का भाविष्य और भगवान का रूप माना जाता है | प्रेम का मकसद केवल कुछ बच्चों कों अच्छी शिक्षा आदि देनें तक ही सिमित नहीं है बल्कि यहाँ बच्चों कों निडर, नियमबद्द, आत्मविश्वासी तथा भविष्य में काबिल और अच्छा इंसान बनने का भी पाठ पढ़ाता  है | यहाँ इन बच्चों कों उन सभी चीजों कों करने तथा सीखने का जगह देता है जिनकी इजाजत उन्हें उनके विद्यालय, घर तथा समाज में आसानी से प्राप्त नहीं होती I

यहाँ बच्चों कों अपनी रुचियों के मुताबिक अपनी काबिलियत का पता चलता है | यहाँ बच्चें अपनी-अपनी रुचियों के अनुसार अंग्रेजी, गणित, कम्प्यूटर, नृत्य (कथक), संगीत, कला आदि में बिना किसी शुल्क के सारा ज्ञान प्राप्त करतें है किन्तु यदि कोई विद्यार्थी किसी तरह कि लापरवाही करें जैसे कक्षा में देरी से आना या न आना इत्यादि तो इसके लिये उससे कुछ पैसे बतौर दण्ड लिया जाता है | यह मंजिल के मूल सिधान्तो के सामान ही है; सिखने का कोई मोल नहीं है, पर न सिखने पर आपको मूल्य देना होगा | इससे बच्चें निशुल्क शिक्षा के माएने भी समझते है और भविष्य में उन गलतियों कों दोहराते भी नहीं है जिसके फलस्वरुप बच्चें अपनी जिम्मेदारी कों समझते है | यहाँ बच्चों को Trips के लिए भी ले जाया जाता है तथा सभी प्रकार के त्योंहारों को भी बड़े प्रेम भावना से मनाया जाता है I

यह प्रेम संस्था एक “मंदिर श्री राम शरणम” जो दिल्ली के कालकाजी इलाके में है, स्थित है | यहाँ कुछ सिखने के इच्छुक बच्चे ठीक उसी तरह से खिचे चले आतें है जैसे चुम्बक के पास लोहा |


                (ओम दुबे)

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