Monday, September 1, 2014

Manzil's Got Talent

Manzil's Got Talent


Picture made by Wasim Akram (student of English and Maths class)


बचपन में दादी मुझे अपने पास बैठा कर भजन सिखाया करती थी और मैं बड़े चाव से उन्हें याद करती थी उस वक़्त मुझे पता नही था कि वो शौक मुझे लोगो के सामने एक गायक कलाकर के रूप में लाकर खड़ा कर देगा। आज जब भी मैं गाती हुँ तो मुझे वो शुरूवात हमेंशा याद आती है। इसी तरह हम सभी के जीवन में कुछ ऐसी चीज़े होती है। जो हमारा लक्ष्य नही होती पर फिर भी हासिल हो जाती है। हमारी छोटी छोटी कोशिशे हमें बड़ा मुकाम हासिल करा देती है।ऐसा ही मंजि़ल के कुछ छोटे छोटे बच्चो ने कर दिखाया है
मंजि़ल के एक प्रयास से मंजि़ल के ही कुछ बच्चे चकमकनाम की एक पत्रिका में अपनी कवितांए और अन्य रचनाएं दे रहे थे। उत्तर प्रदेश के राज्यो में एक मशहुर कहावत है कि हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या” अगर पता न हो इसका मतलब बता दूं, कि जो चीजों आंखो से देख सकते है उसके लिए शीशे की ज़रूरत नही पडती। ठीक इसी तरह मंजि़ल में कितनी कला छुपी है ये किसी को बताने की ज़रूरत नही है। मंजि़ल के बच्चो ने अपने काम से इतना नाम बटौरा है कि उन्हें परिचय की ज़रूरत नही है। आज फिर उन्ही में से कुछ कलाकारो को सरहाने का काम मैं कर रही हुँ। चकमक नाम की एक पत्रिका है जो हर महीने अपना एक अंक प्रकाशित करती है। अपनी पत्रिका में वे गुलज़ार जी की कविताएं बच्चों कि कला के ज़रिये भी प्रकाशित करते है। साथ ही मंजि़ल के कुछ बच्चे अपने चित्रों को भी इस पत्रिका के लिए भेजते है। ये एक गौरव की बात है कि मंजि़ल के 8 से 10 साल के बच्चें गुलज़ार जी के साथ एक पत्रिका सांझा करते है। साथ ही वे गुलज़ार जी की कविताओं को अपने चित्रों में उतारते है और अपने समझ के रंगो से सजाते है। ये सभी चित्र खुद गुलज़ार जी देखते है और उनमें से एक चित्र को चुनते है जो कि चकमकके वार्षिक अंश में प्रकाशित होती है। मंजि़ल से शुभम शीर्ष 25 क्षात्रो में से एक है जिसने सबसे अच्छा काम किया है। जानने की बात यह है कि इंगलिश व गणित क्लास के छात्रों ने कभी सोचा भी नही था कि वो तस्वीरे बनाएंगे और वो भी गुलज़ार जी की कवितओं से प्रभावित।मंजिल अपने सभी बच्चों पर विश्वास करता है, कि वह वो सब कर सकते है जो उन्होने सोचा भी न हो। इसी कोशिश का फल है 4 महीनों में करीबन 10 बच्चे जो मंजि़ल का नाम पूरे भारत में फैला रहे है। मंजि़ल सभी युवाओ को ऐसे मौके देता रहा है और देता रहेगा। अगली बार नया समाचार मंजि़ल गाँट टैंलेट के साथ।



धन्यावाद।

                                  (नीति पांडे)

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