स्वस्थ जीवन... खुशहाल जीवन...
स्वास्थ्य का क्या मतलब होता है? व हेल्थ सब सुनकर आपके मन में क्या आता है। स्वास्थ्य का मतलब है मनुष्य का शरीर तो सही हालत में हो ही मगर उसका मन भी सही हालत में हो, जो कि स्वस्थ हालत में तभी रह सकेगा जबकि मनुष्य की बुद्धि शुद्ध शांत हो व स्थिर हो।
स्वस्थ शब्द में दो शब्द जुड़े हुए हैं जिनमें से पहला है “स्व” और दूसरा है "स्थ"। अब जो पहला शब्द है "स्व" उसका मतलब है अपना, यानी खुद का, यानी निजी। और “स्थ” का मतलब है टिका हुआ, यानी ठहरा हुआ। तो पूरे स्वस्थ शब्द का अर्थ होता है वह व्यक्ति जो कि खुद में टिका हुआ है या जो व्यक्ति अपने में बैठा हुआ है। जैसे गृहस्थ शब्द का अर्थ होता है घर-परिवार में रहने वाला। वैसे ही स्वस्थ, शब्द का अर्थ होता है अपने में या खुद
में रहने वाला।
यदि आप अपने आप में यानी "स्व" में टिके हुए हैं तो आप स्वस्थ हैं, वरना आप अस्वस्थ हैं, बीमार हैं, रोगी हैं। देखिये, जीवन कई तरह से सक्रिय है। मान लीजिए, आप बिजली के बारे में कुछ नहीं जानते। आप
नहीं जानते बिजली क्या है। सोचो किसी एक हॉल में अंधेरा है। अगर मैं आपसे कहूं
सिर्फ यह बटन दबाइये और सारे हॉल में रोशनी फैल जाएगी, क्या आप मेरा विश्वास करेंगे? नहीं। ऐसे में अगर मेरे बटन दबाने से
रोशनी प्रकट हो जाती है, तो आप इसे एक चमत्कार कहेंगे। सिर्फ
इसलिये कि आप नहीं जानते बिजली कैसे कार्य करती है। इसी तरह, जीवन अनेक प्रकार से घटित होता है, लेकिन आपने खुद को सिर्फ भौतिक व तार्किक
तक सीमित कर रखा है।
स्वास्थ्य कितने प्रकार का होता है।
स्वास्थ्य 3 प्रकार के होते हैं जैसे;- शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य व सामाजिक स्वास्थ्य।
मानसिक रोग क्या होता है उसके लक्षण क्या होते हैं? हम मानसिक रोग के बारे में बात क्यों
नहीं करते।
ठीक जैसे हमारा शरीर बीमार पड़ सकता है, उसी तरह दिमाग भी रोगी हो सकता है। इस स्थिति को मनोरोग
कहा जाता है।
मनोरोग के दायरे में बहुत तरह की स्वास्थ्य समस्याएं आती हैं। ज्यादातर लोग
मनोरोग को हिंसा, उत्तेजना और असहज यौनवृत्ति जैसे गंभीर
व्यवहार संबंधी विचलनों से जुडी बीमारी मानते हैं। ऐसे विचलन अक्सर गंभीर मानसिक
अस्वस्थताओं का परिणाम होते हैं। लेकिन, मनोरोग से पीड़ित ज्यादातर लोग दूसरे सामान्य लोगों जैसा ही
व्यवहार करते हैं और वैसे ही दिखते हैं। जब चिंताग्रस्त के भीषण दौर पड़ते हैं, तो उसे संत्रास या ‘पेनिक’ कहा जाता है।
मनोग्रस्ति – मनोबध्यता की अस्वस्थताएं ऐसी स्थितियां
हैं जिनमें किसी व्यक्ति के दिमाग में बार-बार वही ख्याल आते हैं।
मनोग्रास्तियाँ और मनोबाध्यताएं इतनी ज्यादा बार घटित होने लगती हैं कि व्यक्ति के
दिमाग की एकाग्रता को प्रभावित कर देती है। तनाव और मनोरोग के कई मरीज, जिन्हें इलाज नहीं
मिलने से आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते है, और आत्महत्या तक कर लेते है। जबकि किसी भी व्यक्ति के लिए
आत्महत्या करना सही नहीं है। क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से बहुत योजनाएं
चलती है और डॉक्टरों के द्वारा ऐसे लोगों का पूर्ण रूप से इलाज़ भी होता है।
आज के समाज में एक चिंता का विषय और भी बना हुआ है कि अगर किसी भी घर में किसी
व्यक्ति को मनोरोग हो जाता है तो उस घर के कुछ व्यक्ति सोचते हैं कि यह तो बुरी
आत्माओं का साया है और उसकी वजह से कुछ साधुओं और तांत्रिक बाबाओं के पास जाकर
उपचार कराते हैं और फिर कुछ साधु इस प्रकार से उपचार करते है जैसे;
(शव पर बैठकर साधना, जीभ काट कर चढ़ाना, गुड़िया को बांधना, जानवरों की बलि देना) जबकि यह उपचार
मनोरोग व्यक्तियों के लिए सही नहीं होता है ऐसी स्थिति में केवल डॉक्टर से ही
परामर्श लेना चाहिए।
मैं इस लेख के माध्यम से यह कतई नहीं कह रहा हूँ कि पूजा करना गलत है मैं सिर्फ
इतना कहने जा रहा हूँ कि देश में तमाम ढोंगी तांत्रिक इन पूजाओं का नाजायज फायदा
उठा कर जुर्म को अंजाम दे रहे हैं।
Written by Vikas, Computer Class Teacher and Initiative Head, Manzil
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