Friday, August 14, 2020

DRAMEBAAZ: ऊंची उड़ानों के पंछी कैद नही होते

 DRAMEBAAZ: ऊंची उड़ानों के पंछी कैद नही होते

Dramebaaz Team (Vishal, Rahul, Amit, Balkumari, Sachin and Shrikant)


हमारा नाम ड्रामेबाज़ है,और नाटक करना और करवाना हमारा काम है। बच्चों से हमे बहुत लगाव है। मई 2019 में हमारा  सफ़र शुरू हुआ था, हमने 2019 में लगभग 700 बच्चों के साथ काम किया और बहुत सारे नाटक किए।

हमारी दिनचर्या बहुत भागदौड़ वाली हुआ करती थी। हमारा काम ही ऐसा था कि हम अलग-अलग Schools और NGOs में बच्चों को थिएटर करवाने जाया करते थे। कोरोना वायरसCOVID 19’ के संकट में हमारा पूरा काम रुक गया और हमें निराशा ने घेर लिया। लॉकडाउन के शुरुआती दिन हमारे लिए बहुत ही उलझनों और संघर्ष से भरे रहे क्योंकि ऐसे समय में जहां कोई किसी से मिल नहीं सकता, कोई कहीं जा नहीं सकता, ऐसे में घर बैठे हम अपना काम कैसे जारी रखें? कैसे बच्चों तक पहुंचे और कैसे दर्शकों तक पहुंचे? लेकिन, हम कैद थे हमारे इरादे नही।  हमने अपनी टीम से रोज़ बात करना शुरू किया और हमने फिर से उड़ने की तैयारी शुरू कर दी। “ऊंची ऊँचाइयों के पंछी कैद नही होते” इस सोच के साथ आगे बढ़ना शुरू किया। 


तूफानों का आना तो एक पैग़ाम है

लहरों से टकराना ही तो तेरा काम है

तू संघर्ष की कश्ती बना कर उतर चल

पार कर लिया तो ये सफलता तेरे ही नाम है।। 


टेक्नोलॉजी का सहारा ले कर हमने फिर उड़ने की ठान ली। हम एक चीज़ में बहुत अच्छे है, वो है दोस्त बनाने में और अब हमने हमारा नया दोस्त Technology को बनाया जिसके सहारे हम फिर से उड़ने वाले थे। हमारी दोस्ती रंग भी ला रही थी और इसकी पहचान बने मंज़िल की थिएटर क्लास और कहानियाराना की क्लास कहानियाराना एक ऐसी क्लास है जिसमे हम कहानी लिखना, सुनना और सुनाना सिखाते है। हमने सबसे पहले मंज़िल की क्लास Google meet और Zoom से लेना शुरू किया। शुरूआती दौर में कुछ दिक्कतें रही जैसे इंटरनेट की अच्छी कनेक्टिविटी होना, अच्छा मोबाइल फ़ोन  होना और भी बहुत सी तकनीकी समस्या। लेकिन हम फिर भी हार नहीं मानने वाले थे और परेशानियों से लड़ते हुए आगे बढ़े।  


इस बार हम ड्रामेबाज़ को Real दुनिया के स्टेज से उठा कर वर्चुअल दुनिया में ले आए, और कई सारे ऐसे काम शुरू किये जिससे हम एक प्रेरणा का स्रोत बने हमारे जैसे ही काम कर रहे लोगो के लिए। हमने Instagram Live show शुरू किया। जिसका नाम रखा "अदाकारिया और किस्सों की पिटारीयां" जिसमे हम अलग-अलग थिएटर आर्टिस्ट के साथ बात करते है । जिसमे उनके सफ़र के संघर्ष से नए कलाकारों को बहुत कुछ सीखने को मिलता है और आर्टिस्ट थोड़ी अपनी अदाकारी दिखाते है।  जिससे हमारे दर्शकों का मनोरंजन भी होता है। 

धीरे-धीरे हम और लोगों व् बच्चों से जुड़े और हमने Online Theatre and Storytelling वर्क शॉप शुरू की जिसमे हमारी कोई सीमायें नहीं रही।  पहले हम बस दिल्ली तक सिमित थे और यहीं के बच्चों के साथ काम किया करते थे।  लेकिन इस Technology की दोस्ती ने हमे दिल्ली से बाहर पहुंचा दिया और हमारी Online Workshop के लिए पूरे भारत से 137 Applications आई जिसमे से हमने सिर्फ 50 चुनी। हमारी ख़ुशी और तब बढ़ी जब सिर्फ भारत भर से ही नही बल्कि एक Application Canada से भी आई और पहली बार हमारी वर्क शॉप में Apply करने वाले सिर्फ बच्चे ही नही थे बड़े भी थे। इस बार हमने उम्र और समय की बाधा को भी तोड़ा। पहले हम सिर्फ बच्चों के साथ काम करते थे लेकिन इस बार हमने 9 से 59 की उम्र के लोगो के साथ काम किया। एक हमारा स्टूडेंट जो Canada से हमारे साथ रात के 2 बजे जुड़ता था। जिससे हमने समय की बाधा को भी तोड़ा और हमारी पहली Online वर्क शॉप सफल रही। अब हमारे हौसले और मजबूत हो गए थे।


अभी तक हम 160 से ज़्यादा स्टूडेट्स के साथ Online काम कर चुके हैं। हम अपना काम Online classes के जरिए फैला रहे है। अब हम और भी कई सारी नई चीजें करने वाले हैं जैसे ऑडियो थिएटर, शॉर्ट फिल्मस आदि। 

हम अब तैयार है अपनी प्लानिनिंग के साथ आगे बढ़ने के लिए क्यूँकि अभी वर्चुअल दुनिया में ड्रामेबाज़ की सिर्फ शुरुआत हुई है, असली उड़ाने तो अभी उड़नी है।

बादल कितने भी छाए

कोई रोक ना पाएगा

पिंजरे लाख बिछ जाएं

पंछी तब भी पर फैलाएगा।।

ये बारिशें तो अवसर लेकर आई हैं

अब तू अपनी छत खुद बनाएगा ।।


ड्रामेबाज़ टीम द्वारा लिखित 



https://www.facebook.com/ManzilDrameBaaz/


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