Thursday, December 31, 2020

Manzillions' expression for the year 2020 through poems

अनोखा साल 
साल तो कई आए और गए, पर ये साल कुछ अनोखा रहा,
कुछ समझ नहीं आ रहा था, कभी खुशी तो कभी ग़म के दरिया मे डुबोता रहा,
अचानक घर मे बंद होकर दम घुटने सा लगा,
बाहर की दुनिया से नाता जैसे टूटने सा लगा,
हर तरफ बेबसी और मायूसी नजर आ रही थी,
सबकी हिम्मत जैसे जवाब देती जा रही थी,
पर इस अनोखे साल में कुछ अच्छा भी हो रहा था,
कुछ नामुमकिन बातों का सिलसिला शुरू हो रहा था,
जो कभी घर में एक गिलास तक नही उठाते थे,
वो अब घर में साथ साथ ज़िम्मेदारी निभाते थे,
कभी जिन रिश्तों मे दरार नज़र आती थी,
आज वो खुशियाँ संग संग गाती थी,
बच्चे खुश थे क्योंकि स्कूल नहीं जाना पड़ा,
बड़े दुखी थे क्योंकि घर और ऑफिस दोनो संभालना पड़ा,
ऐ साल! तू भी सोचना क्या क्या किया तूने इस साल मे?
और हमें भी गर्व है, खुश रहे हम हर हाल में,
कुछ डर और कुछ नफरत लेकर जा रहा है तू,
पर कुछ अनमोल पल भी देकर जा रहा है तू, 
कभी कोई ख़लिश मत रखना अपने दिल में, 
हम इंसान हैं, जी लेते हैं हर मुश्किल में,
मुझे पता है तू दोबारा नही आएगा,
पर यादों में हमारी हमेशा के लिए बस जाएगा।

Written By Hansi Vaidh, 40, Eng. Practice Student


Oh year 2020! I am surprised to meet you,
Sometimes I love you & sometimes I hate you,

You are a teacher, we all are student, 
You gave us a lesson how to be patient,

A blessing you were, when I got to enjoy family time,
Upset I was, when I missed my friends for long time,

Sometimes you troubled people a lot,
Sometimes a bag full of smiles, you brought,

You will be remembered for years & years,
For those moments of happiness & tears.

Written by Esha Beriya, 18, Eng. Practice Student

No comments:

Post a Comment