Friday, December 27, 2013

Inspirational Story



यह उन दिनो की बात है जब कामन वेल्थ की तैयारियां चल रही थी। दिल्ली में जहां एक तरफ बाहर से आने वाले  मेहमानो के लिए आलिशान कमरे बनाए जा रहें थंे वही दुसरी तरफ गंदगी समझ कर बस्तीयों को उजाड़ा जा रहा था।

बस्ती के लोग बेघर हो रहे थें। इसी बीच राशी जिनके नाना जी को भारत पाक बंटवारे के समय अपना बसा बसाया घर छोड़ कर भारत आना पड़ा था? वह अभी तक इसी भाव में जी रही थी। और इसी भाव के साथ उन्होने कुसुमपुर में 2010 में माध्यम नामक संस्था की शुरूआत कि? कुसुमपुर एक ऐसी बस्ती है जहां हज़ार लोग रहतें है एक ऐसी जगह जहां पानी के आने जाने को कोई समय नही है लोग घंटो पानी के लिए लाईन लगाते है जब पानी की बुनियादी ज़रूरत की पूरी नही हो रही तो बिजली के हालत का अंदाज़ा आप ब-खुबी लगा सकते है।
कुसुमपुर का दिन गाली गलोच, लड़ाई झगड़ो से शुरू होकर मार पीट पर खत्म होता है। ऐसे माहौल में पल रहे बच्चे भी ऐसी गंदी आदतो के आदी बन जाते है और शिक्षा का अभाव बच्चो के भविष्य को अंधकार में डाल देता है। माध्यम ने बस्ती में बच्चो को पढ़ाना शुरू किया? शुरूआत में बच्चो की संख्या बहुत न्युनतम थी? इसके बावजुद भी माध्यम अपने मंजि़ल की और बड़ता रहा। विभिन्न कठिनाइयो के बाद भी आज माध्यम एक ऐसे स्थान पर है जहां आज 40 बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहै है। हांलाकि 40 सुनने में बहुत ज़्यादा नही है। परन्तु इन 40 बच्चो का माध्यम से जोड़ना और इनके माता पिता में शिक्षा के प्रति जागरूकता का आना ही माध्यम के लिए एक पड़ाव पार करना है। नए साल की बधाई देते हुए हम माध्यम के लिए दुआ करतें है कि माध्यम ऐसे ही अपनी मंजि़ल की ओर बड़ता जाए। और एक दिन कुसुमपुर बस्ती का हर बच्चा माध्यम में शिक्षा ग्रहण करने आए।

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