Sunday, April 19, 2020

कोरोना की परिस्थिति में गुलाटी आंटी जी का जज़्बा


कोरोना की परिस्थिति में गुलाटी आंटी जी का जज़्बा



इस समय जब लोग कोरोना जैसी महामारी की वजह से परेशान हो रहे है । वही इंदिरा गुलाटी जी जिन्हें हम सब आंटी जी कह कर संबोधित करते है ।
जिनकी वजह से मंज़िल की नींव रखी गई और जो एक प्री-प्राइमरी स्कूल की संचालिका भी है, व् बड़े ही शांत चित्त से हर एक कार्य को पूर्ण करती है । आईए आपको बताते है कि कैसे उन्होंने इस परिस्थिति का सामना किया, आज वह सभी बाते हमसे यहाँ साझा कर रही है ।

“हर समय पढ़ाने की धुन में लगी रहने वाली 85 वर्ष की महिला को यदि एक घर में बंद कर दिया जाये तो वह कई और तरीके सोचेगी ख़ुद को घर में व्यस्त रखने के लिए ।
हालाँकि मैडिटेशन, एक्सरसाइज, विपाशना तो मैं करती ही थी । मगर समय के अभाव के कारण पेंटिंग और डिजाईन नहीं बना पाती थी । इस समय को मैंने अपने अधूरे कार्यों को पूरे करने में लगाया । समय को कैसे और मीनिंगफुल व्यतीत करे इसके लिए मैंने स्वंम को इंग्लिश में आर्टिकल लिखने का काम दिया । क्योंकि उसमे एक्सप्रेस करने की मास्टरी नही थी । घर में चाँदनी, सोनिया को पेंटिंग बना कर कलर करने को देना व् उसमे सुधार लाना । कोटला में प्रीस्कूल की टीचर्स को कार्य देना व् उनको गाइड करना । ये सभी काम मेरे दिनचर्या में शामिल है | अभी हाल ही मैं हमने ज़ूम एप्प की मदद से मीटिंग की शुरुआत की,  कोटला स्कूल के टीचर्स के साथ, जिसमे हम कैसे और भी कार्य कर सकते है घर बैठे उसकी चर्चा हुई । 
इस प्रकार की चुनौती जीवन में पहली बार आई । क्योंकि पहली बार ज़ूम एप्प का इस्तेमाल किया है, इसके साथ-साथ मैंने उन्हें टीचिंग के आइडियास, गेम्स, कहानियां बनाना आदि के बारे में चर्चा की और काउंसलिंग से उन्हें मोटीवेट किया । इसी के साथ–साथ यू-ट्यूब की सहायता से अपनी फूलवारी को कैसे नये-नये तरीकों से अच्छा बनाना, और इस समय के माहौल को कैसे पॉजिटिव बनाये रखे। इन सब की जानकारी लेती रही डर से मुक्ति व् स्वं को मोटीवेट करते रहना और अन्य लोगो को जो इस परिस्थिति में स्वंय को नही सम्भाल पा रहे उन सबका हौसला बढ़ाना, ये सब काम नियमित रूप से करती रही हूँ |

इंदु जो मेरी म्यूजिक की टीचर है, जो राज घाट में रहती है । मैं उनसे फोन पर म्यूजिक सीख रही हूँ व् साथ-साथ घर बैठे सितार का भी अभ्यास करती रहती हूँ । फ़िल्में देखना मुझे बेहद पसंद है उसमे मन लगाती हूँ । मेरी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आये है पर मैं प्रभु की कृपया से मैंने हमेशा सकारात्मक ही सोचा है । जिससे मेरा मनोबल किसी भी परिस्थिति में डांवा डोल नही हुआ । प्रभु की कृपया मुफ्त में विशेष है, और विश्वास भी है प्रत्येक स्थिति में स्थिर रहने का प्रयत्न करना खुश रहना।”

हम आंटी जी के इस जज़्बे को सलाम करते है और आशा करते है कि उनसे हम सब को ऐसे ही प्रेणना मिलती रहेगी । 

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