Thursday, August 22, 2013

Manzil's Got Talent

 मंजि़ल नृत्य, संगीत, नाटक एवम् शिक्षा की विभिन्न शैलियों से जुड़ी प्रतिभाआं का गढ़ है। इन्ही प्रतिभाआंे में से एक हैं फिल्म मेकिंग के क्षेत्र से जुड़े ललित सैनी, जिन्होने दिल्ली के साथ साथ अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में भी अपनी फिल्मांे के लिए वाहवाही बटोरी है। मात्र 18 वर्ष की आयु में अपनी सोच व नज़ारिए को इस स्पष्टता से प्रस्तुत करना सभी के लिए संभव नहीं है। आइये जानते है ललित की कहानी से जुड़े कुछ और पहलू उन्ही से।


० आप मंजि़ल से कैसे जुड़े और मंजि़ल की किस चीज़ ने आपको सबसे ज्यादा प्रभावित किया?

अपने स्कूल की पढ़ाई के दौरान मुझे ये आभास हुआ कि आज के मशीनी युग में कमप्यूटर का ज्ञान होना बहुत ज़रूरी है, मेरे दोस्त चंदन और मैने कुछ ऐसे संस्थानो की खोज की जहां कम पैसे खर्च करके अच्छी शिक्षा प्राप्त की जा सके और इस खोज का अंत मंजि़ल पहँुच कर हुआ। मंजि़ल एक स्वयं सेवी संस्था है। जो निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर रही है उन सभी को इच्छुक थे और यही इसकी सबसे अच्छी बात लगी।

० आपने फिल्म मेकिंग को ही अपनी आजीविका के रूप में क्यांे चुना? हमें अपनी फिल्मो से भी परिचित कराए।

शिक्षा मंें अव्वल रहने के साथ ही मैंने नृत्य संगीत और नाटक कला के क्षेत्र में भी खुद को आज़माया और काफी सीमा तक सफल भी रहा पर सफल होने के लिए मुझे किसी एक को चुनना था और मैंने फिल्म मेकिंग को चुना। फिल्म मेकिंग चुनने के कारण ये भी था मैं इससे अपनी नृत्य, संगीत,  नाटक कला का सयोजन कर सकता था। साथ ही लोगे को अपने अलअ अलग पहलुओ से अवगत करा सकता था।
जहा तक मेरी फिल्मो की बात है मैं अब तक 31 फिल्में  बना चुका हुँ और अब तक फिचर फिल्म पर काम कर रहा हुँ हाल ही में दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में मेरी 2 फिल्मे प्रदर्शित कि गई।

० फिल्म मेकिंग सिखने का ये सफर कैसा रहा ।

मेरे फिल्म मेकिंग सीखने के सफर में दो चीज़ो का बहुत महत्व रहा एक मेरा आत्मविश्वास दुसरा मंजि़ल। मेरे आत्मविश्वास के कारण ही में हर समस्या से परिवक्व होकर निकला। मंजि़ल का ठीक वही स्थान है। मेरे सफर में जो एक गुरू का स्थान एक शिष्य के जीवन में होता है। आज जितनी जानकारी मैने खुद में बटारी है वो काफी हद तक मंजिल से ही मिली है।

०एक फिल्म मेकर को किन किन समस्याओ का सामना करना पड़ता है?

मेरे नज़रिए से देखा जाए तो जितनी भी समस्याए थी वो परिवार की तरफ से थी आपनी जि़म्मेदारियो और आपने सपनो में से किसी एक को चुनना सम्भव नही था मैं अब भी पुरी तरह कोशीश करता हुँ इनमें तालमेल बना कर रखने की फिल्म मेकिंग से जुड़े प्रोजेक्ट मिलते रहते है। जिससे में घर की आर्थिक रूप से सहायता कर पाता हुँ। मुझे ये लगता है कि इन्ही समस्याओ ने मुझे और परिपक्व और संतुलित बना दिया है।

० भविष्य में किन योजनाओ के बारे में सोचा है।

मैं अपने  फिल्म मेकिंग और 3डी एनिमेशन की तकनीको को और बेहतर बनाने पर काम कर रहा हुँ। साथ ही मे नितिन उपाध्याय जी (फिल्म मेकर) के साथ भी कुछ समय पहले जुड़ा हुँ जिनसे मैं और बेहतर कैमरो का प्रयोग करना सीख रहा हुँ उनके साथ काम कर के जो अनुभव मिल रहा है। वो अब तक के जीवन में सबसे अलग है, और में नितिन जी जैसे और लोगो के साथ जुड़ने का प्रयास कर रहा हुँ।

० इस क्षेत्र से जुड़े क्षेत्रो को कुछ सलाह देना चाहेंगे?


मेरा यह मानना है कि “जहाँ चाह, वहा राह” जो लक्ष्य हम भेदना चाहते है उस पर सटीक नज़र ही हमें विजयी बना सकती है। साथ ही उन लोगो की बातो पर विश्वास ना करे जो अपने हुनर पर विश्वास नही करतें। बस आपको क्या बनना है निश्चित करे और उसी दिशा में प्रयास करते रहे।
Anuraag Hoon, ( Manager, Manzil Mystics)
Niti Pandey (Vocalist, Manzil Mystics )


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