आज
नही तो कल मैं भी मर जाउंगी
आई
हूँ दुनिया में तो कुछ कर जाउंगी
माँ
बनकर हर फर्ज निभाना पड़ता है
कही
न कही माँ को भी कुछ गवाना पड़ता है
बेटी
की चाहत में आज मैं माँ बनी,
कही
जमीं तो कही आसमां बनी |
कभी
सिरहाने रख सुलाऊ उसे
तो
कभी गोदी में उठाऊ उसे
परी
ही नही जान है वो,
किसी
के सपनों का आसमान है वो
पढ़
लिख कर हो गई वो बड़ी
कुछ
बन के हो गई अपने पैरों पर खड़ी
फिर
उसका भी दिन आया शादी का
आज
है दिन उसकी विदाई का
चली
गई वो अपने ससुराल
कर
गई अपने घर की गलियों को बेहाल
माँ
की ममता एक पूजा है
माँ
सा नही कोई दूजा है
लड़
जाउंगी मर जाउंगी, माँ के लिए कुछ कर जाउंगी
उन्ही
के अधूरे सपनों को पूरा मैं कर जाउंगी
जहाँ
भी देखा वही माँ का नाम है
माँ
के चरणों में बसे चारों धाम है
Poem Written by Niranka, Manzil’s
Student
Drawn by Rahul, Manzil Student
Drawn by Rahul, Manzil Student
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