Tuesday, March 22, 2022

अमीषा के सफर की उड़ान


अमीषा

मंज़िल तक पहुंचने के लिए एक शुरुआत की ज़रूरत होती है, पहले कदम की ज़रूरत होती है। अमीषा जो 21 साल की हैं उनके सफ़र की शुरुआत हुई, मंज़िल से। यह सफ़र कैसा रहा और उन्हें कहाँ तक लेकर गया ।आइए इस बारे में जानते हैं।

अमीषा एक मिडिल क्लास परिवार से हैं उनके पिताजी एक दुकान पर काम करते हैं और उनकी मां एक housewife हैं। अमीषा ने 2020 में मंज़िल join किया और वह कंप्यूटर की स्टूडेंट रही। अमीषा बहुत जल्दी ही चीजों को” सीख जाती हैं। दूसरे छात्रों के मुकाबले उनमें सीखने की क्षमता ज़्यादा हैं। साथ ही, वह हर चीज़ को बड़े ध्यान से सुनती हैं ।

मंज़िल में आने से पहले अमीषा ने इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी और यहां उन्होंने अनिल भैया Computer coordinator से designing और HTML सीखा जिसमें उन्हें ज़्यादा वक़्त नहीं लगा। मंज़िल से उन्हें काफ़ी support मिला। मंज़िल के ज़रिए अमीषा” को नवगुरूकुल नाम की संस्था के बारे में पता चला, जहां डिप्लोमा प्रदान किया जाता हैं। नव गुरूकुल में एडमिशन के लिए अनिल भैया ने अमीषा की मदद की। वह बताती हैं कि अगर वह उन्हें गाइड नहीं करते, तो नव गुरूकुल में पहुंचना उनके लिए संभव नहीं होता।

अमीषा नवगुरूकुल में 
अमिषा को सोफ्टवेयर इंजीनियर बनना था इसलिए उसके लिए इस नवगुरूकुल में एडमिशन होना किसी सपने को पूरा होने से कम नहीं था क्योंकि यह एक मुफ्त कोर्स था। नव गुरूकुल join करने के बाद, उन्होंने अपना सारा ध्यान कोडिंग सीखने पर लगाया और वह बहुत जल्द इसे सीख भी गई। इतना ही नहीं, वह अब अपने दोस्तों को भी कोडिंग सीखने में मदद करने लगी। वह कहती हैं कि जब आप कुछ सीख रहे होते हैं, तो कभी किसी से अपनी तुलना नहीं करनी चाहिए। हमारी सोच हमेशा सकारात्मक रहनी चाहिए। इस प्रोग्राम के तहत, वह अपने परिवार से दूर पुणे में रहकर सब कुछ सीख रही थी। घर से दूर रहना और अपने आपको नए माहौल में ढालना भी काफी चुनौती भरा था। ऐसे में कभी-कभी हिम्मत भी टूटती थी जिसकी वज़ह से मानसिक तनाव भी रहता था और खुद को संभालना भी मुश्किल होता था। लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और धैर्य के साथ डटी रही।

अपना कोर्स पूरा करने के बाद, आज वह एक IT कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम कर रही हैं।अपनी इस उपलब्धी का श्रेय वह उन सभी को देती हैं जिन्होंने इस सफर में उनका साथ दिया। साथ ही, उनके सपनों को पंख लगाने और उन्हें अपनी मंज़िल तक पहुंचाने के लिए, वह मंज़िल का तहे दिल से शुक्रिया करती हैं।

पूजा राघव (newsletter member)

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